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Wednesday, September 9, 2009

अब शुरू करें काम की baat

एक अजीब दास्ताँ हैं, मेरी ज़िन्दगी मैं ऐसा कुछ नहीं हुवा जो की ओरों के साथ न हुवा हो ,फिर भी मुझे न जाने क्यों ऐसा लगता है ,मैं ने जो किया अपनी जिंदगी मैं वोह ओरो से अलग हटकर है। मैं हमेशा से चाहता रहा की कोई तो ऐसा हो जो मेरे साथ मिलकर इस बेक स्टेज के काम मैं मेरा हाथ बताये बहुतों ने चाहा भी मगर चूंकि यह एक ऐसा काम है जो बिना अभ्यास के सम्भव नहीं है इस लिए नहीं कर पाये, आज भी जब मैं देखता हूँ की थिएटर से लेकर सिनेमा तक ,शादी विवाहों के समारोहों से लेकर जनम दिवस के आयोजनों तक आर्ट्स अवं क्राफ्ट्स के अनुभवियों की ज़रूरत बेहिसाब तादाद मैं निकलती रहती हैं तो भी गिनें चुनें लोग ही इस काम मैं रूचि दिखा रहें हैं। हालाँकि मैं ने थिएटर की जब शुरुआत की थी मेरा मकसद सिर्फ़ और सिर्फ़ अभिनय करना ही था और यह बात सभी लोग जो मुझे जानते हैं वो यह भी जानते हैं की सिर्फ़ मेरा यह हूनर ही था जिस ने मुझे ज़यादा तादाद मैं अभिनय नहीं करने दिया। फिर भी मुझे लगता है की मैंने जो किया वोह औरों से हटकर किया और इसका सिला मुझे मिल रहा है और मिलता रहेगा। मैं हेर हाल मैं थिएटर कर रहे उन सभी लोगों के साथ हूँ जो इसे पागल पण की हद के साथ कर रहें हैं। और उन के साथ भी जिन्होनें इसे अभी अभी शुरू किया हैं। नए लोगों के साथ इस लिए की उन्हें सही जानकारी का होना बहुत ज़रूरी हैं, प्रतिभाएं आज के इस रेअल्टी शो के ज़मानें मैं कुंठित हो रहीं हैं .और जबकि अब तो इन्हें थिएटर के लोगों ने भी समर्थन डे दिया है । जी हाँ आप जानते हैं की कोई भी प्रतिभा किसीभी प्रतिभा से कम नहीं होती है फिर इतनी सारी प्रतिभाओं को उदास कर किसी एक को प्रमाणित कर के आप क्या कहना चाहते हैं ?मैं जिस शो की बात कर रहा हूँ उसे एक नहीं बल्कि दो दो थिएटर के महारथियों का समर्थन प्राप्त था, और वे ही निर्णायक थे किस प्रकार कलेजे पर पत्थर रख कर उन्होंने निर्णय लिया होगा यह तो वे ही जाने मगर अन्याय के भागीदार तो बनही गए.तो नए लोगों को सही मार्गदर्शन की हर हाल मैं ज़रूरत है.और मैंने तो अपना काम शुरू कर दिया है ज़रूरत है कुछ और साथियों की जो जल्द ही मिल जायेंगे .थिएटर की सबसे बड़ी समस्या तो यह है की लोग इसे सिनेमा की सीडी समझते हैं हालाँकि यह एक अच्छी बात है की थिएटर को जिसे कलतक समाज का आईना कहा जाता था आज सिनेमा की सीडी समझा जाता है.और यही एक बात परेशानी का सबब भी बनती है। एक कलि को थिएटर फूल बनता है और उसकी महक से पूरी दुनिया मह्कक उठती है पर वोह खुशबू वापस थिएटर तक नहीं पहूँचती.तो शुरुआत मैं ही कयुन ऐसे संस्कार दिए जाएँ की वे थिएटर के लिए हमेशा तत्पर रहें.मैंने अपना काम शुरू कर दिया है बेक स्टेज से सम्बंधित सभी जानकारियां एक एक कर के मैं आप तक पहूँचाता रहूँगा और सशरीर भी जब भी याद करोगे हाज़िर जाऊँगा.मैं थोड़ा सा एक अलग अंदाज़ वाला काम करने का इच्छुक हूँ.और आप सब से मिलकर बहूत खुश हूँ.आप सब को मेरी दुवायें फलो फूलो और खुश रहो.

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